मेरे पूज्य पिता स्व. श्री श्री उर्मिलाचरण गुप्त (कक्का जी) की उत्कंठा थी की दद्दा जी के जन्म और कर्म स्थली चिरगांव में एक ऐसा विख्यात केंद्र स्थापित हो, जो दद्दा जी की परिकल्पनाओं को पूरा कर सके | यह विचार उन्हें सदा उद्वेलित करता रहता था की, साहित्य जगत की शिरोमणि नगरी चिरगांव के बच्चों को अध्ययन, अध्यापन और उच्च शिक्षा प्राप्त करने अत्यंत दूर जाना पड़ता है वे चाहते थे कि यहां के बच्चे अपना चतुर्मुखी विकास करके चिरगांव और देश का नाम रोशन कर सकें| उनका यही विचार इस विशालता, नियमवदता ,सुप्रबंध और उत्कृष्ट कॉलेज स्थापना की प्रेरणा बना|
प्रबंधतंत्र के आधार स्तंभ आदरणीय कक्का जी के सामने अपने अथक प्रयासों एवं कर्मठता से उनका सपना पूर्ण कर सका आज कक्का जी हमारे बीच नहीं हैं | लेकिन उनके द्वारा दिया गया दिव्य ज्ञान, कर्म दिग्दर्शन एवं आशीर्वचन हमेशा हमें अनुव्रता बढ़ने की प्रेरणा और ऊर्जा देते रहेंगे|
मैं जीवनपर्यंत दद्दा जी द्वारा लिखित पंक्ति "संदेश यहां में नहीं स्वर्ग का लाया, इस भूतल को ही स्वर्ग बनाने आया" को सार्थक एवं सिद्ध करने का प्रयास करता रहूंगा|
चैयरमेन
इंजीनियर सौरभ गुप्ता