आज हमारा देश विश्व गुरु, डिजिटल एवं कैशलेस की ओर उन्नयन होता जा रहा है, ऐसे में शिक्षा के क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा का महत्व कई गुना बढ़ जाता है, जिनके फलस्वरूप निर्धारित लक्ष्य प्राप्त करना अति आवश्यक हो जाता है, मुझे खुशी है कि शिक्षण-प्रशिक्षण से युक्त कोर्स ( B.Ed / D.El.Ed) करने, निश्चित ही आदर्श शिक्षक बनने की परिकल्पना का संयोजन मस्तिष्क के मनपटल पर अवश्य ही होगा क्योंकि शिक्षण शिक्षक की सप्रयोजन, सचेतना, लक्ष्यपूर्ति से संबंधित विधि है, जिसका संबंध विषयवस्तु को शिक्षार्थियों को आत्मसात करने की प्रक्रिया से होता है | मुझे विदित है कि आधुनिक 21वीं सदी में भारत को विकसित राष्ट्रों की कोटी में स्थानापन्न करने के निमित्त कार्ययोजना 2020 ई. का जो ढांचा विकसित किया गया है, आप सभी लोग उसके केंद्र बिंदु हो | आपके कुशल परीक्षण से गुणवत्ता युक्त शिक्षा का प्रचार-प्रसार होगा | परंतु कौशल प्रशिक्षण प्रदत्त हेतु उत्कृष्ट योग्यता की पृष्ठभूमि विनिर्मित करने का संकल्प भी लेना होगा | यह उद्देश अब्बल अंकों के साथ CTET/ UPTET उत्तीर्ण करने, अद्वितीय शैक्षणिक अहर्ता भी हासिल करनी होगी | ऐसी स्थिति में कैरियर को प्रगतिशील बनाना होगा तथा निर्णायक दिशा भी तय करनी होगी | जीवन में अच्छे कैरियर के लिए दो बातें हमेशा ध्यान रखें | एक समय मिल जाता है, धन देने से समय नहीं मिलता है | दूसरी, हमें खुद में सीखने और लड़कर जीतने की आदत डालना चाहिए | गौरतलब है कि नेपोलियन समय की पाबंदी को बहुत महत्व देता था | एक दिन उसका एक अफसर 10 मिनट देरी से पहुंचा | नेपोलियन ने देरी से आने का कारण पूछा तो उसने बताया मेरी घड़ी 10 मिनट लेट है | नेपोलियन ने कहा तुम अपनी घड़ी बदल दो लो नहीं तो मैं तुम्हें बदल दूंगा | जिस प्रकार घुरी के सहारे पहिया चलता है उसी प्रकार समय के सहारे संसार चलता है | अर्थात मेरे कहने का अर्थ है कि समय-सापेक्ष लेकर लक्ष्य प्राप्त करना और एवं लक्ष्य सफलता प्राप्त करना नितांत आवश्यक है | यह कार्य मेहनत द्वारा अथक लगन एवं परिश्रम से सहज ही किया जा सकता है
मुझे विश्वास है कि पशिक्षार्थी अपने जवाबदेही , कर्तव्यो और दायित्व को जानने के साथ-साथ शिक्षण-प्रशिक्षण शिक्षण-कौशल्यों एवं सूक्ष्म अध्ययन का भय/तना/भेदभाव रहित रुचिपूण॔ परिवेश निर्मित करेंगे | जिससे सफलता का नूतन सोपान प्राप्त करके उन्मुक्त आकाश में विजय का परचम लहराएंगे, जिससे जीवन निर्माण की शिक्षा विश्व के कोने-कोने में समाहित हो सकेगी, आज का शिक्षार्थी कल के देश का कर्णधार है, नियामक है | विद्याध्ययन करते हुए भी स्वयं सेवक बनकर वह देश की सेवा कर सकता है | इसमें जहां एक और उसका व्यवहारिक ज्ञान बढ़ेगा, वही जीवन के कई अनछुए पहलुओं का उसे साक्षात दर्शन होगा |
देश के विश्व स्तर पर अपनी योग्यता, कर्मठता, सौहार्द और सद्भाव का परिचय सद्भाव देते हुए प्रगति के यश में अपने परिश्रम की आहुति देते हुए अजित ज्ञान के प्रकाश से राष्ट्र ही नहीं विश्व को भी आलोकित करें | निम्न पंक्तियों के साथ बहुत-बहुत शुभकामनाएं
एक श्रमिक जो आज भूमि ही खन सकता है |
कल सुयोग्य हो वह राष्ट्रपति बन सकता है |
डॉ स्वतंत्र कुमार सोनी
(प्राचार्य)